हे नर! हुआ प्रथम प्रहर, उठो कर्म पर लग जाओ, दे पटखनी निराशा को, आशा के दीप जला आओ.
पिछड़ रहा है क्यूँ तू , इस पर अभी विचार करो , तज आलस्य, अपना कर्म जीवन में , नव ऊर्जा का संचार करो |
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