jagrit
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क्यूँ ढूंढ़ते हो
दुश्मनों को हर गली,
हम तो उन्हें दिल में
छुपाये बैठे हैं।
कुछ रार है
तकरार है,
सुलटा भी लेंगे,
नफरत पर
प्रेम की,
क्यों बलि चढ़ाये बैठे हो।
क्यूँ ढूंढ़ते हो
दुश्मनों को हर गली
हम तो उन्हें दिल में
छुपाये बैठे हैं।।
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